Bausparfuchs
18/02/2023 12:43:41
- #1
तो हम बिल्कुल सही रास्ते पर हैं। जीवाश्म ईंधनों के बजाय अब तेजी से साधारण खाद्य पदार्थ जलाए जा रहे हैं। मेरा पड़ोसी, जो गाँव का किसान है, ने एक नया पर्यावरण-अनुकूल हीटर मंगवाया है।
यह ठीक-ठाक महंगा है, लेकिन कोई बड़ी बात नहीं क्योंकि यहाँ सरकार से अनुदान मिलता है। हीटर की कीमत लगभग 50 हज़ार है।
यह एक अनाज हीटर होगा। यह गेहूं, जौ, राई और ज़रूरत पड़ने पर जई भी जलाएगा। जाहिर तौर पर हमारे हरित जलवायु रक्षक के विचार के अनुसार। और ठीक पास ही एक जैवइथेनॉल फैक्ट्री भी है। वे भी अनाज से हरे-भरे दिल के लिए बायोफ्यूल बनाते हैं।
हजारों बायोगैस संयंत्र इस पारिस्थितिक चित्र को पूरी करते हैं। वहाँ भी खाद्य पदार्थ जलाए जाते हैं। और यह सब पर्यावरण की भलाई के लिए होता है।
जब तक हम खाद्य पदार्थ जलाते रहेंगे, कोई भी बढ़ती खाद्य कीमतों या कमी पर शिकायत न करे।
यह ठीक-ठाक महंगा है, लेकिन कोई बड़ी बात नहीं क्योंकि यहाँ सरकार से अनुदान मिलता है। हीटर की कीमत लगभग 50 हज़ार है।
यह एक अनाज हीटर होगा। यह गेहूं, जौ, राई और ज़रूरत पड़ने पर जई भी जलाएगा। जाहिर तौर पर हमारे हरित जलवायु रक्षक के विचार के अनुसार। और ठीक पास ही एक जैवइथेनॉल फैक्ट्री भी है। वे भी अनाज से हरे-भरे दिल के लिए बायोफ्यूल बनाते हैं।
हजारों बायोगैस संयंत्र इस पारिस्थितिक चित्र को पूरी करते हैं। वहाँ भी खाद्य पदार्थ जलाए जाते हैं। और यह सब पर्यावरण की भलाई के लिए होता है।
जब तक हम खाद्य पदार्थ जलाते रहेंगे, कोई भी बढ़ती खाद्य कीमतों या कमी पर शिकायत न करे।