बाहर की पलस्तरिंग हमारे यहां वाकई में बहुत अच्छी हुई है, तुम्हें कोई लहर दिखाई नहीं देती, स्पॉटलाइट्स के पास भी नहीं। सब कुछ बेबीपोपो जैसा चिकना। इसके मुकाबले, अंदर की दीवारें कुछ जगह 2 सेंटीमीटर टेढ़ी-मेढ़ी हैं और दीवारों पर तरह-तरह की चीजें हैं। अलग-अलग कंपनियां थीं और उनमें से ज्यादातर के दिमाग में बहुत ही कम अल्कोहल था। हर दीवार पर दिखता है कि लगाने वाले पलस्तरमिस्त्री ने कितना शराब पिया था। दुर्भाग्य से....
लेकिन इसके साथ एक अच्छी पाटीना भी बनती है, जिससे यह अब नया निर्माण जैसा नहीं दिखता।