यह तो पहले से ही साफ है।
मेरे पिता ने एक बार दो बच्चों वाले एक परिवार को किराए पर दिया था, जिसने 6 महीने बाद भुगतान बंद कर दिया।
तुम निश्चित रूप से समझ सकते हो कि यह कितनी तकलीफ, समय और पैसा लेता है। वह परिवार वह सालभर के बाद एक अदालत के आदेश के जरिए ही छोड़ा गया।
मकान इतना बिगड़ा हुआ था कि उसे 30,000,- रुपये खर्च कर के मरम्मत करनी पड़ी।
ऐसी बातें आत्मबल को कमजोर कर देती हैं, भले ही आपके पास दर्जनों संपत्तियाँ हों।
वैसे वह मकान साल्ज़बर्ग के केंद्र में है और इसका क्षेत्रफल 130 वर्ग मीटर है। मतलब कोई ग्रामीण इलाक़े की तबाह हालत की ऐसी कोई फ्लैट नहीं है जिसे 350,- रुपये ठंडे किराए पर दिया गया हो।