aero2016
27/08/2019 12:26:54
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वित्त अधिकारी को इस तरह की चीजों में दोगुनी सतर्कता बरतनी चाहिए। यह एक कठिन विषय है।
मेरे दिमाग में सबसे बुरा केस यह है कि हम में से एक की मृत्यु हो जाए और दूसरा कर्मयोग्यता विहीन हो जाए। इसका मतलब है कि उसे अपनी सेवानिवृत्ति पेंशन से ही जीना होगा, फिर वह किस्त नहीं चुका पाएगा। कहीं तो रहना तो पड़ता है (यानि किराया भी देना होगा)?
मुझे लगता है कि इस मामले में मैं शायद अधिकारी के विपरीत व्यावहारिक हूं - अगर हम घर का खर्च बर्दाश्त नहीं कर सकते तो हमें उसे बेचना या किराए पर देना होगा और किराए से किस्त चुकानी होगी। इससे कोई फायदा नहीं होगा। और घर की क़िस्त पूरी करने का लाभ यह होगा कि पूंजी बँध जाए। फिलहाल घर की कीमतें ज़रूरी नहीं कि कम हो रही हों।
मृत्यु के मामले में क्रेडिट देनदारी के बराबर की जोखिम जीवन बीमा ली जा सकती है। इसकी लागत कुछ यूरो प्रति माह होती है।