वास्तव में जो हकीकत हुई, उसे पहले ज्यादातर किसी ने ध्यान में नहीं रखा था, खासकर या फिर विश्लेषकों और कथित विशेषज्ञों ने नहीं। वर्तमान में यह कोरोना, बाढ़, अफगानिस्तान जैसे विषयों पर भी ठीक वैसे ही स्पष्ट है....... सारी जानकारियाँ, पूर्वानुमान बिल्कुल भी मददगार नहीं रहे, बल्कि नुकसान ही किया क्योंकि लोग उन पर बहुत अधिक भरोसा कर बैठे।
इसलिए, मैं किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में जिसने लगभग 10% के करीब निर्माण ऋण ब्याज चुका चुका है, कहूँगा कि शून्य की ओर केवल सीमित गुंजाइश है, जबकि ऊपर की ओर असीमित। अंतिम टुकड़ा वहां नहीं ढूंढ़ना चाहूंगा, भले ही सभी विशेषज्ञ मुझे समझाएं कि ब्याज दरें स्थायी रूप से इतनी कम रहेंगी.....असलियत देखें।
अगर मैंने 1990 में अपनी बैंक से कहा होता कि ब्याज दरें कभी शून्य पर होंगी, तो वे मुझे पागलखाने भेज देते।
समस्या यह भी है कि लोग सोचते हैं कि यह हमेशा बढ़ती ही रहेगी........मैंने घरों की कीमतें और खासकर शेयर बाजार के मूल्य बहुत तेजी से गिरते हुए देखे हैं (दुर्भाग्यवश अपने अनुभव से), जिसने मुझे हमेशा के लिए अधिक सतर्क और जमीनी स्तर पर रहने वाला बना दिया है।