क्या कोई रुपरेखा या विचार-विमर्श हुआ था? कौन-कौन सी स्थितियाँ विचाराधीन हैं?
कोई विचार-विमर्श या ऐसा कुछ नहीं है। अब केवल वकील ही संवाद कर रहे हैं।
हम अब प्रस्ताव पेश करेंगे कि किन शर्तों पर हमारी ओर से फिर भी कोई सहमति दी जा सकती है। हमने कभी यह नहीं कहा कि हम सहमत नहीं हैं। अब ये मांगें पुनः दोहराई जाएंगी।
तुम्हारी फर्श की हालत क्या है? कुछ इसी तरह की बात हमारे कुछ दोस्तों ने भी कही थी। मुझे भी पूछना होगा कि उन्होंने इसे कैसे सुलझाया।
फर्श की हालत बेहतर नहीं हुई है। शायद हमें कभी इसे फिर से देखना पड़ेगा।