मुख्य इन्सुलेशन और खानोंवाला हवा की परत जिसमें मिनरल वूल भरी हो, ये दोनों में क्या फर्क है?
मुख्य इन्सुलेशन मात्र यही है। यह कोई बुरी बात नहीं है, पर यह कुछ अलग है। हवा की परत का एक उद्देश होता है, इसके पीछे कोई सोच होती है। इसका काम पारंपरिक रूप से एक खोखली परत के रूप में होता है, कभी-कभी इसमें भरे गए इन्सुलेशन पदार्थ भी शामिल होते हैं, जिनके बीच यह बनी रहती है, यानी यह उनको पार करती है। यदि कोई अपने विचार बदलता है और खोखली परत के स्थान पर इसे ठोस रूप से भरना चाहता है, तो हवा की परत को पुनः परिभाषित किया जा सकता है। इसका पुराना नाम तब प्रासंगिक नहीं रहेगा, क्योंकि हवा हवा की परत में तकनीकी रूप से एक संरचनात्मक घटक होती है। हवा "कुछ नहीं" से अधिक है, "कुशन" के रूप में यह एक कार्य निभा सकती है।
वर्तमान इन्सुलेशन के जुनून में पृथ्वी को फिर से एक चपटे रूप में देखा जाता है, जहाँ केवल ठोस पदार्थों को ही विशेषताएँ दी जाती हैं। जहाँ माना जाता है कि सुधार करना आवश्यक है, वहाँ इन्सुलेशन पदार्थों को पूर्व की हवा की परतों में भरा जाता है। आम बोलचाल में परत का नाम वैसा ही रहता है, भले ही इसका तकनीकी अर्थ बदल जाता है। इसलिए, यदि मैं इसके बीच का फर्क बताता हूँ तो आप इसे शब्दावली की बारीकियों के रूप में देख सकते हैं।
जिसने 20 या 30 साल पहले हवा की परतें लगाईं, उसने यह मूर्खता से नहीं किया था। वर्तमान में अन्य तरीके प्रचलित हैं, और हमेशा एक पूर्व की हवा की परत को भरना वांछित परिणाम नहीं देता।