स्वयं की मेहनत कुछ ऐसी चीज़ है।
इसके द्वारा वास्तव में काफी बचत की जा सकती है, लेकिन इसके लिए सही समय देना भी जरूरी होता है।
मेरे 3 पड़ोसी खुद काफी कुछ करते हैं। मैं उनकी साप्ताहिक मेहनत, हर बार काम पूरा करने की इच्छा, जो कौशल/छमता वो दिखाते हैं और उस आत्मविश्वास की प्रशंसा करता हूँ, जिससे वे काम शुरू करते हैं, भले ही परिणाम पूरी तरह से सही न हो।
एक पड़ोसी 3 साल की निर्माण अवधि के बाद अब अपने घर में रह रहा है।
दूसरा आधा साल से उस घर में रह रहा है, जो उसने ज़्यादातर खुद बनाया है। हालांकि, वह आधा साल पहले आधे तैयार घर में गया था और हर वीकेंड काम करता रहता है।
तीसरा तब अपने घर में गया, जब स्ट्रिच सूखने वाला काम लगभग खत्म हो चुका था। वह अपनी पत्नी और बच्चे के साथ है। तब से वह लगभग हर शाम और हर वीकेंड काम करता है। ज़मीन की बिछाई से लेकर सोलर पैनलों की स्थापना तक, फिर पत्थर बिछाने, सूखी दीवार बनाने आदि तक। घर में लगी गैराज 1 साल तक इस्तेमाल के लिए नहीं थी, क्योंकि पत्थर नहीं बिछा होने के कारण जमीन की प्लेट ज्यादा ऊंची थी। बाद में भी नहीं, क्योंकि गैराज में बहुत सारा उपकरण और सामग्री जमा था।
मैं इन मकान मालिकों की उनकी कौशल, साहस, धैर्य और लक्ष्य के प्रति उनकी लगन की प्रशंसा करता हूँ, जो उन्होंने सब कुछ काम के अधीन रखा।