एक बात मुझे जरूर हैरानी होती है। इन ओकालडिंगर्स के तो शायद सैंकड़ों हैं, शायद हजारों से भी ज्यादा। और लोग तो इन्हीं में रहते हैं, बिना मर कर गिर पड़े।
क्या ये खास, इतना ज़्यादा खराब हुआ हुआ, जो जबरदस्ती नीलामी में टूट-फूट वाली चीज़ के रूप में बेचा गया, क्या इसके मालिक ने बाद में इसे और बदतर बना दिया? पहले घर के मिस्त्री कितनी बार ज़ाइलामोन को लकड़ी के पैनलों के अंदर भी लगाते थे! कितनी लापरवाही से लकड़ी की खिड़कियों के अंदर भी बाहर के लिए सुरक्षा लेज़र लगाई जाती थी। यहां तक कि असली कार्बोलिनियम को छत के फर्श के लिए इस्तेमाल किया जाता था। ये सब मेरे शुरुआती सालों में पूरी तरह से खुले में बिकती थीं। हमने खुद भी कार्बोलम बनाया था पुरानी तेल से और उसके जरिए फेंस के खंभों को टिकाऊ बनाया, ताकि नाव घाटों को ज्वारीय समय पर रंगा जा सके, जो भी बचा, अगली बाढ़ ले जाती थी....किन किताबों में लिखा होता था कि डिब्बों और केनिस्टरों पर क्या लिखा है। कार्स्टन