तो मैं अब यह नहीं मानता कि कोई पाइप भूल जाने पर वह दीवार के सामने कच्चा ही रहेगा। आखिरकार अंदर 5 सेमी मोटी इन्सुलेशन भी होती है, जिसे इस प्रकार की चीजों, पाइप, तार आदि के लिए आसानी से खुरच सकते हैं। उसके ऊपर फिर प्लास्टर लगाया जाता है और सामान्य ड्रेनेज पाइप वहाँ छिप सकते हैं।
इसी तरह भारी चीजें जो दीवार पर स्क्रू से लगानी हों, उनके लिए पहले संबंधित खुरचाई की जा सकती है और एक लकड़ी की पट्टी दूरी बनाए रखने के लिए सीमेंट वाली दीवार पर सीधा स्क्रू की जा सकती है, और फिर उसपर अलमारियाँ आदि लगाई जा सकती हैं। इसलिए ऐसी डोंगल की जरूरत नहीं है जो 5 सेमी की इन्सुलेशन को पार करे।
भराई भी अलग तरीके से होती है। आप सारी दीवारें एक साथ नहीं बना सकते और बाद में कॉंक्रेट डाल सकते हैं, बल्कि लगभग 1 मीटर की ऊँचाई पर भराई करनी होती है, सूखने देना होता है और फिर आगे बढ़ना होता है। ऐसा एक तो इसलिए ताकि नीचे तक अच्छी तरह दबाव दिया जा सके और दूसरा, क्योंकि कॉंक्रेट के गिरने की बहुत बड़ी ऊँचाई से मिश्रण अलग हो सकता है या कंकड़ के गड्ढे बन सकते हैं। इसलिए आपको कॉंक्रेट कई बार मंगवाना होगा और तब मात्रा सही होनी चाहिए।