Uwe82
10/11/2015 00:12:30
- #1
लेकिन वास्तव में ऐसा ही हुआ था। बैंक का पैसे पर अधिकार तो था, लेकिन वह संबंधित दस्तावेज़ हमारे पास आने से 2 दिन पहले ही हमारे खाते से पैसे ट्रांसफर कर चुका था। यह एक त्रुटिपूर्ण राशि के बारे में था, जो बैंक में एक गणना की गलती के कारण उत्पन्न हुई थी। इस मामले में काश विश्वास ही कारगर होता।
मध्यस्थता विभाग से संबंधित बात ऐसे मामलों में शायद सच में काम कर सकती है, लेकिन हमारे मामले में इसका कोई मतलब नहीं है क्योंकि पैसे पर अधिकार पहले से ही मौजूद है। मेरा कहना है कि कभी-कभी ऐसी बातें होती हैं जिन पर विश्वास नहीं किया जा सकता, लेकिन वास्तव में वे ही घटित हो जाती हैं।
मध्यस्थता विभाग से संबंधित बात ऐसे मामलों में शायद सच में काम कर सकती है, लेकिन हमारे मामले में इसका कोई मतलब नहीं है क्योंकि पैसे पर अधिकार पहले से ही मौजूद है। मेरा कहना है कि कभी-कभी ऐसी बातें होती हैं जिन पर विश्वास नहीं किया जा सकता, लेकिन वास्तव में वे ही घटित हो जाती हैं।